वर्ण या अक्षर किसे कहते हैं ?
वह छोटी से छोटी ध्वनी जिसके टुकड़े न हो सके | वर्ण अथवा अक्षर कहलाती है | अर्थात् भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है | उस छोटी-से-छोटी ध्वनी को जिसके टुकड़े न हो सके वर्ण या अक्षर कहा जाता है |
उदाहरण :-
अ, इ, उ, ऋ, क्, च्, ट्, त् आदि |
वर्णमाला
वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं | हिंदी वर्णमाला में चौवालिस वर्ण हैं | जिसमें ग्यारह स्वर और तैंतीस व्यंजन हैं | वर्ण के दो भेद हैं - स्वर और व्यंजन |
स्वर : जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोले जाते हैं, उन्हें स्वर कहा जाता है | अथवा जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी दुसरे वर्ण की सहायता से होता है, उन्हें स्वर कहा जाता है | जैसे :- अ से औ तक ये ग्यारह स्वर हैं |
स्वरों के तीन भेद हैं -
- ह्रस्व - जिनके बोलने में समय कम लगे उन्हें ह्रस्व स्वर कहा जाता है | इन्हें एक मात्रिक स्वर भी कहा जाता है | उदाहरण - अ, इ, उ, ऋ |
- दीर्घ - जिनके बोलने में ह्रस्व स्वर से दोगुना समय लगे दीर्घ स्वर कहलाता है | जैसे - आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ |
- प्लुत - जिनके बोलने में ह्रस्व स्वर से तिगुना समय लगे दीर्घ स्वर कहलाता है | उदाहरण - ॐ, हे राम आदि |
व्यंजन तथा व्यंजन के भेद
जो स्वरों की सहायता से बोले जाएँ, उन्हें व्यंजन कहते हैं | अथवा जिन वर्णों के उच्चारण में वायु प्रवाह रुक कर अथवा घर्षण के साथ निकलता है, उन्हें व्यंजन कहा जाता है | जैसे - क ( क् + अ ), च ( च् + अ ), ट ( ट् + अ ), प ( प् + अ ) आदि |
व्यंजन के तीन भेद हैं -
स्पर्श व्यंजन - क् से लेकर म् तक 25 वर्ण |
अंतस्थ व्यंजन - य्, र्, ल्, व् |
उष्म व्यंजन - श्, ष, स्, ह |
वर्णों के उच्चारण स्थान
| वर्ण | स्थान | नाम | |
|---|---|---|---|
| 1 | अ, आ, कवर्ग (क, ख, ग, घ, ङ) ह विसर्ग ( : ) | कंठ | कंठ्य |
| 2 | इ, ई, चवर्ग (च, छ, ज, झ, ञ ) य, श | तालु | तालव्य |
| 3 | ऋ, टवर्ग ( ट, ठ, ड, ढ, ण) र, ष | मूर्धा | मूर्धन्य |
| 4 | तवर्ग (त, थ, द, ध, न ), ल, स | दंत | दंत्य |
| 5 | उ, ऊ, पवर्ग (प, फ, ब, भ, म ) | ओष्ठ | ओष्ठ्य |
| 6 | ए, ऐ | कंठ-तालु | कंठ-तालव्य |
| 7 | ओ, औ | कंठ-ओष्ठ | कंठोष्ठ्य |
| 8 | व | दंत-ओष्ठ | दंठोष्ठ्य |
अल्पप्राण और महाप्राण व्यंजन
अल्पप्राण- जिन व्यंजनों के उच्चारण में फेफड़ों से आने वाली वायु अल्प अथवा कम मात्रा में निकले, उन्हें अल्पप्राण कहते हैं | जैसे - प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा व्यंजन और य्, र्, ल्, व् |
महाप्राण- जिन व्यंजनों के उच्चारण में फेफड़ों से आने वाली वायु अधिक मात्रा में निकले, उन्हें महाप्राण कहते हैं | जैसे - प्रत्येक वर्ग का दूसरा, चौथा व्यंजन और श्, स्, ह् |
अनुस्वार और अनुनासिक ध्वनियाँ
अनुस्वार (अं) - इसका उच्चारण करते समय श्वास (साँस) केवल नाक से निकलता है | जैसे - रंक, पंक, मंगल |
अनुनासिक (आँ )- इसका उच्चारण मुख और नासिका दोनों से मिलकर होता है | जैसे- हँसाना, पाँच, काँच |

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