हिमाचल प्रदेश में धौलाधार पर्वत श्रृंखला की ऊँचाइयों में स्थित कमरूनाग झील प्रकृति और लोक-परंपराओं के संगम का अद्भुत उदाहरण है।
समुद्रतल से लगभग 3,334 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह झील न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए
बल्कि इसके साथ स्थित देव कमरूनाग के पवित्र मंदिर के कारण अत्यंत प्रसिद्ध है। देवदार के घने जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में पहुँचते ही
प्रकृति की शांति और ऊर्जा का अनुभव अपने आप ही हो जाता है।
![]() |
| Kamrunag Temple in Winter |
पौराणिक महत्त्व
कमरूनाग झील अत्यंत प्राचीन झील है। स्थानीय परंपराओं और कथाओं के अनुसार देव कमरूनाग जी महाभारत काल के राजा यक्ष
के रूप हैं। पांडवों ने अपने वनवास के समय यहां आकर उनकी पूजा-अर्चना की थी। झील और मंदिर से जुड़ी श्रद्धा और विश्वास
आज भी हजारों भक्तों को आकर्षित करते हैं। देव कमरूनाग को "इच्छा पूर्ण करने
वाले देवता" माना जाता है। एक महत्त्वपूर्ण मान्यता के अनुसार— भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु सोना, चांदी और
सिक्के झील में अर्पित करते हैं। सदियों से चली आ रही इस परंपरा व मान्यता के कारण कमरुनाग झील के तल में भारी मात्रा में कीमती धातुओं के जमा
हो चुकी है, इसकी वास्तविक मात्रा का अनुमान लगाना असंभव है क्योंकि झील की गहराई और
प्राकृतिक संरचना इसे मापने में बाधा उत्पन्न करती है।
![]() |
| Local Festival |
कैसे पहुंचे कमरूनाग झील
कमरूनाग झील तक पहुँचने की यात्रा एक रोमांचक अनुभव है। प्रकृति-प्रेमियों, ट्रैकर्स के लिए यह यात्रा किसी स्वर्ग की यात्रा से कम
नहीं है। रोहांडा से कमरूनाग झील तक का रास्ता लगभग 6 किलोमीटर लंबा, तीव्र चढ़ाई वाला पहाड़ी मार्ग लोगों के साहस और धैर्य की परीक्षा लेता है।
आमतौर पर
इस पैदल यात्रा को पूरा करने में लगभग 3 से 4 घंटे का समय लगता है लेकिन मौसम और शारीरिक दक्षता के अनुसार यह समय बदल सकता है।
कमरुनाग झील के रास्ते पर चलते हुए चारों ओर फैले देवदार, बुरांश और अन्य पहाड़ी वृक्षों का यह घना वन, पक्षियों
की आवाज़ें और दूर-दूर तक फैली घाटी का मनमोहक दृश्य इस यात्रा को यादगार बना देता है।
मंदिर तथा आसपास का वातावरण
झील के चारों ओर घना जंगल, प्राकृतिक सुंदरता धौलाधर पर्वतों की भव्यता के कारण यह झील और भी अधिक आकर्षक दिखाई देती है। साफ मौसम में बर्फ
से ढकी चोटियों का दृश्य तन और मन को प्रफ्फुलित करता है। मंदिर की पारंपरिक पहाड़ी वास्तुकला, लकड़ी
की नक्काशी और पेंटेड छत पहाड़ी संस्कृति की समृद्ध विरासत को अभिव्यक्त करती है।
कमरूनाग झील और मंदिर का यह संपूर्ण अनुभव न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद प्रदान करता है बल्कि एक आध्यात्मिक और
सांस्कृतिक यात्रा भी कराता है। चाहे कोई भक्त हो, तीर्थयात्री हो, ट्रेकर हो या प्रकृति-प्रेमी—यह स्थान हर किसी के लिए कुछ
खास और यादगार समेटे हुए है।



Post a Comment